बिहार की राजनीति एक बार फिर शिक्षक बहाली के मुद्दे पर गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने एक बड़ा चुनावी दांव चलते हुए घोषणा की है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो शिक्षक भर्ती परीक्षा के चौथे चरण (TRE-4) की प्रक्रिया अविलंब शुरू की जाएगी। उन्होंने यह बयान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दिया और मौजूदा एनडीए सरकार पर इस भर्ती प्रक्रिया में जानबूझकर देरी करने और पदों में कटौती करने का गंभीर आरोप लगाया है।
क्या है तेजस्वी यादव का दावा?
तेजस्वी यादव ने अपने पोस्ट में कहा कि जब वह 17 महीने के लिए सरकार में थे, तो उनकी सरकार ने सफलतापूर्वक और बिना किसी पेपर लीक के TRE-1 और TRE-2 का आयोजन किया। इन दो चरणों में दो लाख से अधिक शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए और लगभग एक लाख तीस हजार अतिरिक्त पदों पर बहाली की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। उन्होंने अपने कार्यकाल को युवाओं और रोजगार के प्रति समर्पित बताया।
इसके विपरीत, उन्होंने मौजूदा नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने मार्च महीने में ही घोषणा की थी कि TRE-4 के तहत 1 लाख 27 हजार शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। लेकिन अब, सरकार ने अचानक से एक लाख पद कम कर दिए हैं। तेजस्वी ने अपने दावे को पुख्ता करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक पुराने पोस्ट को भी साझा किया, जिसमें बड़े पैमाने पर भर्ती का वादा किया गया था। तेजस्वी का यह कदम सीधे तौर पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है और इसे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताता है।
शिक्षक बहाली का राजनीतिक महत्व
बिहार में शिक्षक बहाली केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक और भावनात्मक मुद्दा है। राज्य में लाखों युवा शिक्षक बनने का सपना देखते हैं और इसके लिए वर्षों तक तैयारी करते हैं। ऐसे में, शिक्षक भर्ती की घोषणाएं और प्रक्रियाएं सीधे तौर पर एक बड़े वोट बैंक को प्रभावित करती हैं। तेजस्वी यादव इस मुद्दे की नब्ज को समझते हैं और इसी रणनीति के तहत उन्होंने रोजगार को अपना मुख्य चुनावी हथियार बनाया है। उनका यह वादा उन लाखों उम्मीदवारों के लिए उम्मीद की एक किरण लेकर आया है जो TRE-4 की अधिसूचना का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
उम्मीदवारों पर क्या होगा असर?
राजनीतिक बयानबाजी के बीच सबसे ज्यादा प्रभावित वे उम्मीदवार होते हैं जो दिन-रात एक कर परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सरकार बदलने के साथ नीतियों में बदलाव और भर्तियों में देरी की आशंका उन्हें मानसिक रूप से परेशान करती है। पहले TRE-3 का पेपर लीक होना और फिर TRE-4 में देरी और पदों में कटौती की खबरों ने उम्मीदवारों की चिंता बढ़ा दी है। तेजस्वी यादव की इस घोषणा ने भले ही उन्हें एक राजनीतिक विकल्प दिया हो, लेकिन यह अनिश्चितता का माहौल भी पैदा करता है, जहाँ उनका भविष्य पूरी तरह से चुनावी नतीजों पर टिका नजर आता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, तेजस्वी यादव ने TRE-4 शिक्षक बहाली का वादा करके बिहार की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है। यह एक तरफ जहाँ मौजूदा सरकार पर दबाव बनाता है कि वह भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाए और पारदर्शिता बरते, वहीं दूसरी ओर यह चुनाव से पहले युवाओं को साधने की एक सोची-समझी रणनीति भी है। अब देखना यह होगा कि क्या नीतीश सरकार तेजस्वी के इस हमले का जवाब भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाकर देती है, या यह मुद्दा आने वाले चुनावों में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा। फिलहाल, बिहार के लाखों शिक्षक उम्मीदवारों की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।